मेरे तन पे छुरी रखके, कहती प्यार है तुमसे।
कैसे यकीन करूं में, ये कैसा प्यार है हमसे॥
लहू बहाया मेरे सीने का, कैसी गद्गद की।
प्यार करके तूने मुझसे, क्यों ये नफरत की॥1॥
पीठ पीछे बार करती, कैसे यकीन करूं
कहती प्यार है तुमसे, कैसे यकीन करूं
सीने पे छुरी रख्खी, तरस न तुमको आया।
एक छोटा दिल का टुकडा, तूने काट के मेरा बिखराया॥2॥
तुमको प्यार है मुझसे, कैसे यकीन करूं
जीना रहा न मेरा, दिल मेरा तोड़ दिया।
ये जख्म दिये मुझको, मेरा खून क्यों किया॥3॥
प्यार है दिल में तुम्हारे, कैसे यकीन करूं
कहना है:-
“हुस्न बालों ने मुझे लूटा, लुटने के बाद याद आई।
चाहा मैंने जिसे दिले जान से, वो किसी ओर की निकल आई।
टूट गया मेरा दिल हजारों टुकडों में बिखर गया।
दिल के टुकडे लहू से धोये तो तेरी तस्वीर निकल आई।“
खूने जिगर बहता, कैसी हालत की।
रख दी छुरी तन पर,क्यों ये बगावत की॥4॥
कहती प्यार है तुमसे,कैसे यकीन करूं
पीठ पीछे बार करती,कैसे यकीन करूं
Neetesh Shakya
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