Wednesday, April 1, 2020

Korona se matam by Nitesh Shakya

चाइना ने यह है जुल्म गुजारा, सबको नैनों रुलाया।
कोरोना छा गया है।
जैविक हथियार इसने बनाया। सारे जग को सताया।
कोरोना छा गया है।

परेशान इटली अमेरिका, मातम सा छाया हिंदुस्तान में।
नफरतों जैसी बस्ती, छा रही इंसान में।(कोहराम छाया इंसान में)
मिलना-मिलाना हुआ दुश्वार, ना लागे चौपार।
कोरोना छा गया है।

आए विदेशी लोग, लेके यह बीमारी‌।
वायरस ऐसा फैला, छाई है महामारी।
(विदेशी लोगों से बचके रहना, मानो मेरा कहना।)
कोरोना छा गया है।
लोग बिलखते आंसू बहाते,घर से निकल न पाते।
कोरोना छा गया है।

दिन रात एक करके, डॉक्टर लगे हैं इलाज में।
फैली है महामारी, दुनिया पड़ी है जंजाल में।
दूरियां बनाओ मास्क लगाओ, सबको यही समझाओ।
कोरोना छा गया है।

ला परवाही बरती, बीमारी लेगी अवतार है।
स्वच्छता अपनाना, यही मुख्य हथियार है।
रोना कोरोना को रोना, जीवन में हुआ रोना
 कोरोना आ गया है।
📖✍🏼 नीतेश शाक्य अजनबी📖✍🏼
(मिलो न तुम तो हम घबराऊं) ध्वनि पर आधारित है।
🙅🏻‍♂Sorry for wrong word🙅🏻‍♂

Wednesday, February 19, 2020

यशोधरा वियोग से by नीतेश अजनबी

वन निकले सजन, मेरा सूना अंगन, महल छोड़ (चले) गए क्यों हमारे सजना|
मुझे लगी लगन, मेरा सूना पलंग, न आये मिलने को हमारे सजना||
जब याद सजन की आये, मेरा अंग- अंग दहलाये|
ना खबर पिया की आये, मिलाने को जिया घबराये||1||
भटके वन-वन, करें कठिन तपन, मोह माया को तजि गए हमारे सजना|
सुख (दुःख) खोजन चले गए हमारे सजना|

जब हमको बताके जाते, हम हसके तुम्हे  भिजवाते|
हम साथ आपके जाते, ना तुमको कभी सताते ||2||
नाहीं करते (में) तंग, चलते (में) संग-संग, वन में रहते तुम्हारे ही संग सजना |

माता-पिता को छोड़ा, समाज (राहुल)  से भी नाता तोडा|
छंदक को साथ में (संग लेके) लेकर, वैराग्य से रिश्ता(नाता) जोड़ा||
न जाते वन, न चलती कलम, न एन. एस. लिखता सच्ची रचना|
कलमकार " नीतेश शाक्य अनजबी"

Thursday, December 5, 2019

देकर मुझे ऐसा गम by Neetesh Shakya Ajanbi

देकर मुझे ऐसा गम, तन्हा रह गये हैं हम।
दिल मेरा तोड चले..............................2
जीने की खाई कसम, साथ देगें हरदम।
मगर मुख मोड चले, दिल मेरा तोड चले..

हमें तुम्हारा प्यार, अब कहां नसीब होगा।
तुम्हारे सिवा दिल के, नहीं कोई करीब होगा॥
ना मुझे दो ऐसा गम, तन्हा..................|
दिल मेरा तोड.....................................

दिल तोड दिया मेरा, रहती हो हस-हसके।
ये दीवाना तेरा, याद करे मरके|| (याद करे बिछुडके)
क्यों छोड़ गये हो तुम, तन्हा रह गये हैं हम 
दिल मेरा तोड.....................................

""लेके हम दुसरों की हसी क्या करें, जो अपनी नहीं वो खुशी क्या करें।
तन्हा जीने से बेहतर है कि मर जाये हम, जब जिंदगी में तुम नहीं 
तो जिंदगी जीकर क्या करें॥""

आएगी याद तेरी, छुछुप के रो लेंगे|
अंखियों के दर्द को हम, चुपके से सह लेंगे||
जब पूछेगा सारा जहां, तेरा यार अब है कहां| 
बताएंगे ना हम| तन्हा रह गए हैं हम|
हो दिल मेरा तोड़ चले॥
जीने की खाई कसम, मगर मुख मोड चले॥   
                                         प्रिय एन.एस.अजनबी
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Tuesday, December 3, 2019

देश भक्ति गीत by Neetesh shakya ajanbi


देश भक्ति गीत तर्ज- दिल के अरमां-25

देश के जो वीर वतन पर मर गये
नाम दुनियां मे अमर वो कर गये।।

जलिया वाले बाग में छाया था इतम (शितम)।
जनरल डॉयर ने ढाया ये शितम्॥
हर शितम वो वीर हसके सह गये ।
नाम दुनियां मे अमर वो कर गये।।

देश मे परतंत्रता का साया था।
कौने-कौने में अंधेरा छाया था॥
दीप बनके उजाला कर गये।
नाम दुनियां मे अमर वो कर गये।।

देश की जनता भूखा से मरती थी।
दाने-दाने को भटकती फिरती थी॥
उन (हम) गरीबों के मसीहा बन गये।
नाम दुनियां मे अमर वो कर गये।।
                 
                (सत्र 2008) एन.एस. अजनबी
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Friday, November 29, 2019

सरस्वती वन्दना by Neetesh shakya ajanbi



मेरी मां सरस्वती आ जाना, मुझे भूला ज्ञान बता जाना।
मझधार  पडी  मेरी  नैया,  मां  आके  पार  लगाना।

इतनी शक्ति हमको दे जाना, कोई भूल कर भी भूल न हो।
छल कपट से सदा हम दूर रहे, मेरे मार्ग में कोई शूल न हो॥
हे! ज्ञान की माता जग तुम्हें चाहता, आके ज्ञान बता जाना।
मझधार............................................................लगाना।

हे! मां सरस्वती आप हमें, सदमार्ग ओर ले जाएं।
हे! परम चेतना भाग्यवती, हमें प्रज्ञा शील बता जाएं॥
हे! चतुर्भुजी मां सरस्वती, आकर के वीणा बजा जाना।
मझधार............................................................लगाना।

साहसशील हृदय में हो, दिल मे प्यार बना रहे।

खुशियों का फूल खिला रहे।
हे! हंसवाहिनी ज्ञानदायनी, फिर से घर-घर ज्ञान रहे॥
हे अज्ञान एन.एस. ये, मां आके ज्ञान बता जाना।
मझधार............................................................लगाना।

मुझे ज्ञान तुम्हारा मिलता रहे, चरणों मे तुम्हारे ध्यान रहे।
गायन की देवी सरस्वती मां, मेरे कंठ पे तेरा गुणगान रहे॥
कईं भूल हो मेरी मईया, आकर के शब्द बता जाना।
मझधार............................................................लगाना।
मेरी मां सरस्वती आ जाना, मुझे भूला ज्ञान बता जाना।
प्रिय एन.एस.अजनबी
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वर्ण व्यवस्था BY neetesh shakya ajanbi


वर्ण व्यवस्था
जाति पांति मे बांट दिया, इन्सान बना अछूत से।
मानव को सम्मान नहीं, पवित्र पशु का मूत रे॥

पहनने को कपडे नहीं मिलते, पानी नहीं तालाब से।
भूख प्यास से मरते हैं, ये कैसा हिन्द का हाल रे॥

मान नहीं सम्मान नहीं, वहां कैसे जिंदगी जीते।
पाखंडों में फंसकर के, पशु की गन्दगी पीते॥

मनुवादी से घिरे रहे, जिन्दगी बडी (बनी) बेहाल रे।
जीने का अधिकर नहीं, कैसा किया हाल रे॥

क्यों जीते हो ऐसी जिन्दगी, एन. एन. तुम्हें समझावे।
अपनाले अब बुध्द शरण, राह सही बतलावे॥

जाति पांति के भेद भाव से, छुटकारा मिल  जावे रे।
अंधविश्वास में बने रहे, अब आके ज्योति जलाले रे॥

मेरी लेखनी गल्त लागे, माफ करे कसूर रे।
मानव को सम्मान नहीं, पवित्र पशु का मूत रे॥

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Wednesday, October 9, 2019

desh bhakti geet by neetesh shakya

desh bhakti geet





ऐ मां मेरी यादों को दिल में बसा लेना (देश भक्त गीत) By Neetesh Shakya 


ए मां मेरी यादों को, दिल में बसा लेना|                        
अब जाता है लड़ने को, ये देश भक्त दीवाना|    
 विजय पाकर के ही आए, बस इतनी दुआ देना|            
ऐ मां मेरी यादों को दिल में बसा लेना|
है दिल में मां मेरे, सरहद के बसे छाले|                         
ये जख्म नहीं जननी, दिल में बसने वाले||1||             
जब वहे लहू मेरा, आंसू न बहा देना|                         
ऐ मां मेरी यादों को, दिल में बसा लेना|
आजादी का परवाना, अब जाता है़ जलने को|                  
आगाज यही होगा, कि जाता है लड़ने को||2||           
जाऊं जब जलने को हंस हंस के विदा देना|                
 ऐ मां मेरी यादों को,.....................|
जब याद मेरी आए, भरना न कभी आंहैं|                     
जब हो जन्म मेरा, तेरी कोख से ही आएें||3||              
जो आंसू बहाए जननी, तुम  धीर बंधा देना|                  
ऐ मां मेरी यादों को .................................|
 चल गई कलम मेरी देश भक्त को याद करके|              
 एन.एस. उदास बैठा, आंखों में नीर भर के||4||
  यदि भूल हुई हो मुझसे, मुझे क्षमा कर देना|
  ऐ मां मेरी यादों को दिल में................
                               (Neetesh Shakya) 

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